
रायपुर। राजनीति में कुछ भी संभव है। असंभव कुछ भी नहीं है। ऐसा ही नजारा शनिवार को भाजपा के जनजातिय सम्मेलन में देखने को मिला। गृहमंत्री अमित शाह के जनजातिय सम्मेलन को सफल बनाने के लिए पिछले एक महीने से कवायद जारी जारी होने के बाद भी अमित शाह के अपेक्षा के अनुसार भाजपा भीड़ नहीं जुटा पाई वहीं भाजपा के 2018 के चुनाव में प्रत्याशी रहे श्याम तांड़ी के कांग्रेस प्रवेश और गुरुवार को मंदिर हसौद में गैंगरेप की घटना में भाजपा नेता के बेटे के शामिल होने से गृहमंत्री खिन्न नजर आए जो कार्यक्रम के फेल होने में जले में नमक का काम किया।
केंद्रीय गृहममंत्री अमित शाह शनिवार को राजधानी के प. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम के कार्यक्रम में भीड़ नहीं जुटी। इसे लेकर रायपुर से दिल्ली तक राजनीतिक हलचल मच गई है। शानिवार सुबह अहमदाबाद रवाना हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व प्रदेश सह प्रभारी मनसुख मांडविया को रविवार को तत्काल रायपुर लौटने का निर्देश मिला है। जानकारी के अनुसार मांडविया दोपहर 2 बजे के करीब रायपुर पहुंचेंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि आरोप पत्र जारी करने के कार्यक्रम को लेकर कई तरह की उदासीनता बरती गई । इसके पीछे भाजपाइयों में आंतरिक कलह बताई जा रही है। इसमें खासकर पार्टी कार्यालय के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिन्होंने समय से पहले प्रवेश पास नहीं भिजवाया ।
बड़े नेताओं को फोन करके नहीं बुलाया गया। इतना ही नहीं राजधानी के नेताओं को तो पूछा तक नहीं गया।जबकि शुक्रवार को जब मांडविया ऑडिटोरियम में कार्यक्रम की तैयारी की निरीक्षण करने पहुंचे थे, तो उन्होंने 1500 की क्षमता को देखते हुए वीआईपी लाउंज के बाहर एलईडी स्क्रीन लगाने के साथ कुर्सियां लगाने का निर्देश दिया था, उनके निर्देश को नजरअंदाज किया गया। एलईडी स्क्रीन व कुर्सियां भी लगाई गई लेकिन किसी को न्योता नहीं दिया गया।मगर हाल ही नहीं भर पाया। इसलिए एलईडी स्क्रीन वाला इलाका खाली रहा। भाजपा सूत्रों की माने तो ऐसा पहली बार हुआ है कि शाह के कार्यक्रम में भीड़ नहीं जुटी। पिछली बार बुक लांचिंग कार्यक्रम में ऑडिटोरियम में पैर रखने की जगह नहीं थी, मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसे भाजपा के भीतर अंतर्कलह माना जा रहा है। बहरहाल कार्यक्रम के बाद अब मांडविया के आने का इंतजार है।