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महंत की राह में कांटे ही कांटों ,, सक्ती से लेकर कोरबा तक ,, राजनैतिक जमीन दिख रही सरकती हुई,, समर्थकों की अनदेखी अब पड़ने लगी भारी,, गुरु पर चेला भारी,,,,

कोरबा/जांजगीर चांपा/सक्ति: वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष और सक्ति जिले के विधायक डॉक्टर चरण दास महंत के इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर काफी असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है। दरअसल उनके दोनों क्षेत्रीय समर्थक इस बार खुलकर उनका विरोध कर रहे हैं । जांजगीर-चांपा जिले में पहुंचे कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा के समक्ष हुए घटनाक्रम ने इस बात को और पुख्ता कर दिया है।

इस बीच यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि आखिर महंत कहां से चुनाव लड़ेंगे? क्योंकि कोरबा विधानसभा में वह अपना वजूद खो चुके हैं । विधानसभा सक्ती जांजगीर चांपा और कटघोरा में भी उनकी बात नहीं बन रही है । ऐसे में क्या वे अपनी पुश्तैनी सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस पर भी संचय बना हुआ है। क्योंकि इस सीट पर काफी समय से कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन चुनाव लड़ते आ रहे हैं।

आपको बताते चले कि जांजगीर चांपा सहित कोरबा क्षेत्र में पहले महंत गुट के समर्थकों की भरमार हुआ करती थी । लेकिन लगभग 5 साल से उनके समर्थकों में आश्चर्यजनक कमी आई है।। लोगों का कहना है कि समर्थकों को नजरअंदाज करने के कारण आज डॉक्टर महंत को अपनी जमीन को विवश हो रहे हैं।

कोरबा विधानसभा में जयसिंह अग्रवाल ने उनके पुरे समर्थकों को खत्म कर दिया है ,, ऐसे में आज कोरबा दौरा के दौरान इसे लोग भली भांति देखते हैं इतने वरिष्ठ नेता के पीछे चंद लोग ही दिखाई देते हैं ,, शहर विधायक के बातों पर चलकर अपने कट्टर समर्थक को खो चुके अब कोरबा विधानसभा से भी अपना जमीन को खो चुकें हैं अब देखना होगा कि वे इस कठिन दौर में अपने अस्तित्व को कैसे बचानें में सफल होते हैं,,,

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि स्वर्गीय बीडी महल के समय पर चांपा विधानसभा सीट से ही महंत परिवार का गहरा ताल्लुक रहा है, लेकिन इस बीच से दो कद्दावर नेताओं के ताल ठोकने से कॉन्ग्रेस आलाकमान के सामने भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है । बताया जाता है कि पूर्व मंत्री राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह और मनहरण राठौर को अपने पक्ष में करने के बाद ही विधानसभा अध्यक्ष ने पिछले चुनाव में रण में उतरने का फैसला लिया था। लेकिन इस बार जिस तरह से इन दोनों नेताओं ने विरोध किया है उसे इस बार विधानसभा अध्यक्ष की राह आसान नजर नहीं आ रही है।

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