छत्तीसगढ़

कोरबा में दीपावली के त्योहार पर पुराने व्यापारियों को नहीं मिल रही जगह, जबकि अतिक्रमणकारियों को नगर निगम का संरक्षण?

कोरबा। वर्षों से दीपावली, होली और राखी जैसे प्रमुख त्योहारों पर शहर के घंटाघर के समीप स्मृति उद्यान के सामने फूल, रंगोली, राखी और सजावट की दुकानें लगती आई हैं, लेकिन इस बार व्यापारियों को वहां दुकानें लगाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसके पीछे नगर निगम द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि इन दुकानों के कारण यातायात व्यवस्था बिगड़ जाती है। हालांकि, वास्तविकता यह है कि पूरे बुधवारी बाजार क्षेत्र में सड़क किनारे स्थायी रूप से अतिक्रमण कर दुकानें लगाई जा रही हैं, जिन पर निगम के अधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है।

पुरानी परंपरा पर लगी रोक

दीपावली और अन्य त्योहारों के मौके पर कई वर्षों से व्यापारियों को स्मृति उद्यान के सामने जगह मिलती रही है, जहां वे अपनी दुकानों में सजावटी सामान, फूल, रंगोली और राखी बेचते रहे हैं। यह स्थान व्यापारियों के लिए बेहद फायदेमंद था क्योंकि यह प्रमुख बाजार क्षेत्र के निकट होने के कारण ग्राहकों की आवाजाही अच्छी रहती थी। लेकिन इस साल नगर निगम द्वारा इन व्यापारियों को वहां दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। निगम ने इस बार ट्रैफिक व्यवस्था के बिगड़ने का हवाला देकर इन व्यापारियों को उस स्थान से हटा दिया है।

स्थायी अतिक्रमण, अस्थायी व्यापारियों पर रोक?

वहीं, दूसरी ओर बुधवारी बाजार से लेकर शहर के विभिन्न हिस्सों में सड़कों के किनारे स्थायी रूप से दुकानें लगाई गई हैं, जिनमें से अधिकांश अतिक्रमण करके खड़ी की गई हैं। इन दुकानों पर नगर निगम का कोई नियंत्रण नहीं दिखता, बल्कि इन अतिक्रमणकारियों को अधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है। जानकारी के अनुसार, हर दुकान से लगभग 3000 रुपये की वसूली भी की जा रही है, जो अतिक्रमण को बनाए रखने की एक बड़ी वजह है।

व्यापारियों का आरोप है कि यह अवैध वसूली अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने के बदले में की जाती है, जबकि वे लोग जो साल में तीन से चार बार खास मौकों पर निगम से बाकायदा अनुमति लेकर दुकानें लगाते हैं, उन्हें व्यापार करने से रोका जा रहा है।

वर्षों से सजता था व्यापार, अब हो रही परेशानी

स्मृति उद्यान के सामने दुकान लगाने वाले व्यापारी दशकों से यहां सजावट और त्योहार संबंधित सामान बेचते आए हैं। ये लोग हर साल नियमानुसार अनुमति लेते हैं और नगर निगम से जगह मिलने पर दुकानें सजाते हैं। लेकिन इस बार उन्हें जगह नहीं मिलने से वे काफी परेशान हैं।

कोरबा के एक व्यापारी का कहना है, “हम लोग हर साल दीपावली और होली पर यहां अपनी दुकानें लगाते हैं और यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। लेकिन इस साल हमें यहां से हटा दिया गया है, जबकि सड़क किनारे जो स्थायी दुकानें लगी हैं, उन्हें कोई नहीं हटा रहा। यह पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है।”

निगम का पक्ष, व्यापारियों की नाराजगी

नगर निगम का कहना है कि स्मृति उद्यान के सामने दुकानें लगाने से ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ती है और इसीलिए व्यापारियों को इस बार वहां दुकानें लगाने से मना किया गया है। नगर निगम ने व्यापारियों को वैकल्पिक स्थान देने की पेशकश की है, लेकिन व्यापारियों का आरोप है कि वैकल्पिक स्थान पर व्यापार करने की स्थितियां अनुकूल नहीं हैं और वहां ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं।

एक अन्य व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “नगर निगम ने हमें वैकल्पिक जगह दी है, जहां हम अपनी दुकानें लगाने को तैयार हैं। लेकिन वहां कोई ग्राहक नहीं आएगा क्योंकि वह मुख्य बाजार से काफी दूर है। वहीं, सड़क किनारे अवैध रूप से दुकानें सजाने वाले व्यापारियों को निगम अधिकारियों का पूरा समर्थन मिला हुआ है। उन्हें वहां से हटाया नहीं जा रहा, क्योंकि हर दुकान से पैसे वसूले जा रहे हैं।”

अवैध वसूली और अतिक्रमण पर कार्रवाई कब?

व्यापारियों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों ने जान-बूझकर स्थायी अतिक्रमण को नजरअंदाज किया है और अस्थायी व्यापारियों को व्यापार करने से रोका जा रहा है। जबकि अतिक्रमणकारियों से अवैध रूप से पैसे लेकर निगम उन्हें संरक्षण दे रहा है।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई कब होगी? साल में कुछ दिनों के लिए व्यापार करने वाले व्यापारी जहां परेशान हैं, वहीं सालभर अतिक्रमण कर व्यापार करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

दीपावली के करीब, व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ीं

दीपावली में अब मात्र 5 दिन बचे हैं और व्यापारियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। नगर निगम की इस कार्रवाई से व्यापारी अपने सालभर के मुनाफे को लेकर चिंतित हैं। कई व्यापारियों ने प्रशासन से अपील की है कि दीपावली से पहले उन्हें वापस अपनी जगह पर व्यापार करने की अनुमति दी जाए, ताकि वे अपना व्यापार सही तरीके से कर सकें।

अगर समय रहते निगम प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो इसका सीधा असर व्यापारियों की कमाई पर पड़ेगा और नगर निगम की छवि पर भी प्रश्नचिन्ह लगेगा।

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