
नई दिल्ली: केंद्र में सत्ताशीन भाजपा की मोदी सरकार को 2024 के आम चुनावों में पछाड़कर बाहर करने का सपना संजोने वाले विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है। विपक्षी दलों की इसी माह होने वाली बैंगलोर की बैठक रद्द कर दी गई है। इसकी जानकारी जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता किसी त्यागी ने दी है। बताया जा रहा है कि मीटिंग कइसनिल करने कि वजह महाराष्ट्र कि राजनीती में हुए उथल-पुथल को बताया जा रहा है। हालांकि इस बैठक को रद्द करने के पीछे कोई साफ वजह नहीं बताई है। त्यागी ने कहा है कि यह बैठक अब मानसून के बाद आयोजित की जा सकती है।
गौरतलब है कि एनसीपी नेता अजीत पवार और छगन भुजबल के साथ नौ विधायकों के शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद एकाएक इस मीटिंग को कैंसिल किया गया है। ऐसे में अब ऑपोजिशन की यूनिटी पर ही सवाल खड़े होने लगे है। कुछ दिन पहले बैठक की तारीख और वेन्यू की जानकारी खुद शरद पावर ने मीडिया को दी थी। लेकिन यह बैठक हो पाती इससे पहले ही एनसीपी में दो फाड़ हो गया और शरद पवार अलग-थलग पड़ गए।
कैसी होगी पावर की हैसियत
शरद पवार की पार्टी एनसीपी के पास कुल 53 विधायक थे। अजीत पवार ने पाला बदलने के बाद दावा किया है कि उनके सम्पर्क में सीधे तौर पर पार्टी के 40 विधायक है। ऐसे में वह कभी भी पार्टी पर अपना दावा ठोंक सकते है। लेकिन उससे भी बड़ा सवाल कि विपक्षी दलों के संयोजन में पवार अब तक जिस दमदारी से शामिल होते थे क्या अब भी उनका यह रुतबा बरकरार रहेगा? शरद पावर को इस गठबंधन में नीतीश का विकल्प माना जा रहा था। अगर नीतीश इस एकता के संयोजक नहीं बनते तो यह पद पवार को सौंप दिया जाएगा। लेकिन क्या अब ऐसा हो पायेगा? क्या शरद पवार को दूसरे दल पहले जितना ही तवज्जो देंगे?
