छत्तीसगढ़

तो क्या सांसद ज्योत्सना महंत फिर से लड़ेंगी लोकसभा चुनाव ! नगर सेठ के चक्रव्यू में फंस विरोध और पलायन के बीच गुजर गई 5 साल की सांसदी, ज्योत्सना नहीं बन सकीं जनता के दिलों की महंत

लोग तो यह भी कहते रहे..न जाने कहां विलुप्त हैं हमारी सांसद

कोरबा। जैसा कि आपने हेडिंग में ही पढ़ा की क्या ज्योत्सना महंत फिर चुनाव लड़ेंगी ये सवाल अब कोरबा संसदीय क्षेत्र में रह रहे सभी मतदाताओं के मन में चल रहा है। पांच में चुनिंदा दिन अपने संसदीय क्षेत्र में रहने वाली सांसद के पास उपलब्धियों के नाम पर कुछ खास नहीं है। ज्योत्सना महंत ने डॉ चरण दास महंत के कदमों के निशान पर चलते-चलते ही सही, किसी तरह सांसद का खिताब तो पा लिया, पर इनकी सांसदी तो जैसे विरोध और नाकामियों के बीच कब गुजर गई पता ही न चला। कोरबा लोकसभा की सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत, डा महंत की छाया बनकर जहां उन्होंने पति परमेश्वर को कई अभूतपूर्व सफलताएं दिलाई, तब की सक्रियता के बूते लोगों ने दिल खोल कर सत्कार किया। पर जब स्वयं गद्दी पर विराजमान हुईं, तो जैसे डिसेबल मोड पर चली गई और लोगों ने यहां तक कह डाला कि न जाने हमारी सांसद कहां गुम हो गई हैं, हमने तो खुद उन्हें ढूंढ रहे हैं। कोरबा नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष ने तो उनका लापता पोस्टर तक जारी कर दिया था। फिर चाहे कोरबा शहर का पंप हाउस कॉलोनी हो या सक्ति जिले का ग्राम पासीद, सिर्फ वोटों की गुहार लेकर नजर आने वाली सांसद मैडम का जमकर विरोध हुआ और फील्ड से नदारद रहने की उनकी आदत से वे जनता के दिलों की महंत न बन सकीं।

श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत एक या दो नहीं, पूरे आठ विधानसभा क्षेत्रों वाले कोरबा लोकसभा की सांसद हैं। पर इनमें से किसी एक विधानसभा को भी पकड़ लें, तो ऐसे अनेक गांव मिल जाएंगे, जहां के ग्रामीण उन्हें बस एक झलक देखने पांच साल से तरस रहे हैं। दूर वनांचल के गांव देहात तो छोड़िए, कोरबा शहर के पंप हाउस कॉलोनी में ही उनका सत्कार लोगों की फटकार के साथ हुआ। जबकि इस वार्ड के बाशिंदे और नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद के साथ वे यहां पहुंची थी। अटल आवास के लोगों ने अपने जर्जर हो चुकी मकान की छत और दीवारों के टूट टूट कर उन पर ही गिरने का दर्द ही बताना चाहा था, पर गरीबी की बजाए गरीबों को हटाओ का नारा लगाने वाली कांग्रेस की पूर्व वर्ती सरकार और मौजूदा नगर सरकार ने कोई मदद तो दूर मुड़ कर देखना भी मुनासिब नहीं समझा। यही हाल सक्ति के ग्राम पासिद में भी नजर आया, जहां सांसद ज्योत्सना अपने पति डॉ महंत के लिए वोट मांगने पहुंची थी, जहां लोगों की जुबान पर सिर्फ एक ही शिकायत रही कि बरसों बाद दिखे हो, जब वोट की जरूरत है। तब कहां रहे जब जनता को आपकी जरूरत थी। चुनाव जीतने के बाद केवल अपने आलीशान बंगले और कांग्रेस की रैलियों, बैठकों में दिखने के बाद कहीं और नजर न आना, जनता के दुख दर्द को बांटना तो दूर उनके बीच एक दफा पहुंचने की जहमत भी नहीं उठाना, भला ऐसे में जनता विश्वास करे भी तो कैसे, आप ही बताइए।

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रेलवे को तब लिखी चिट्ठी, जब कुर्सी जाने तीन माह शेष
कोरबा शहर हो या कुसमुंडा दीपका, क्षेत्र के लोग पिछले पांच साल से एक ही बात रट लगा रहे हैं कि उन्हें उनकी ट्रेनें वापस दिलवाई जाए। पर सांसद मैडम ने रेलवे को चिट्ठी तब लिखी, जब उनकी कुर्सी जाने में केवल तीन माह शेष रह गए हैं। इस बीच कोरबा से जयपुर के बीच खाटू श्याम दर्शन के लिए एक्सप्रेस चलाने की भी गुजारिश की गई। इस पर भी राजस्थान क्षेत्र से लेकर कई सांसद कई साल पहले हामी भरकर चिट्ठी पत्री पहुंचा चुके हैं। पर कोरबा सांसद वक्त ही नहीं निकाल सकीं। अब जब चुनावी सीजन आ गया है, उन्हें लोगों की फिक्र होने लगी पर एक बात है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता और वो यह, कि भैया ये पब्लिक है….सब जानती है।

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