छत्तीसगढ़

एक्सीडेंट के बाद पैरों में नहीं बची थी जान, मेकाहारा के डॉक्टरों ने बचाया

रायपुर – मोटरसाईकिल से गिरकर जख्मी हुए 26 वर्षीय युवक के घुटने की हड्डी के अंदर स्थित लिगामेंट के टूट जाने से पैर में जान बाकी नहीं था। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के अस्थि रोग विभाग के डॉक्टर प्रो. राजेन्द्र अहिरे और उनकी टीम ने एक के बाद एक पांच लिगामेंट का पुननिर्माण (रिकन्स्ट्रक्शन) करके घुटने में प्रत्यारोपित कर मरीज के दायें पैर को खराब होने से बचा लिया। हालांकि यह मरीज अन्य जगहों पर इलाज कराते हुए दुर्घटना के ढाई महीने बाद काफी देरी से अम्बेडकर अस्पताल पहुंचा था। तब तक मरीज के घुटने की स्थिति बेहद खराब हो चुकी थी।

अस्थि रोग विशेषज्ञ एवं मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर राजेंद्र अहिरे बताते हैं कि कबीरधाम प्रानखेरा निवासी 26 वर्षीय मरीज का 10 अप्रैल को मोटरसाईकिल से एक्सीडेंट हुआ था। उसे बिलासपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां उसको घुटने के ऊपर तक 2 माह के लिए प्लास्टर चढ़ा दिया गया था जिसके कारण उसका घुटना नहीं मुड़ रहा था। घुटना पूरी तरह से अकड़ गया था एवं पैर में जान नहीं था। मरीज पैर के सहारे चल नहीं पाता था फिर इसे बाहर से एमआरआई करवाने पर पता चला कि घुटने का सभी तन्तु (लिगामेंट) टूट गए हैं जिसके कारण बाहर के डॉक्टरों ने कॉम्प्लीकेटेड केस है, यह जानकारी दी। फिर मरीज को अम्बेडकर अस्पताल में दिखाया। यहां आगे के उपचार की योजना बनाई गई। दो बार क्रमबद्ध दो चरणों में ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। मरीज का पहले 3 लिगामेंट (लेटरल कोलेटरल लिगामेंट, पॉप्लिटियस लिगामेंट, पॉपलिटियो फिबुलर लिगामेंट) का पुनर्निर्माण किया गया एवं उसके 6 हफ्ते बाद पुनः दूरबीन पद्धति से 2 लिगामेंट (एन्टीरियर एवं पोस्टीरियर क्रुसियेट लिगामेंट) का पुनर्निर्माण किया गया। कुल 5 लिगामेंट (तन्तुओं) का पुनर्निर्माण किया गया है। अभी मरीज अपने पैर पर चल रहा है एवं घुटना भी 100 डिग्री मुड़ रहा है।

डॉ. राजेन्द्र अहिरे बताते हैं कि फीमर एवं टिबिया में टनल बनाकर यह ऑपरेशन किया जाता है। इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती टिबिया और फीमर में टनल बनाना था। बहुत सारे टनल होने के कारण एक टनल के, दूसरे टनल से टकराने  की संभावना हो सकती है जिससे ऑपरेशन फेल भी हो सकता है। दूसरी सबसे बड़ी समस्या होती है कि इतने सारे तंतु को बनाने के कारण कई बार घुटना जाम हो जाता है। मरीज के दूसरे ऑपरेशन को अभी एक सप्ताह हुए हैं। मरीज अभी चलना चालू किया गया है। चार से छह महीने में मरीज दौड़ने लगेगा।

ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की टीम में डॉ. राजेंद्र अहिरे, डॉ. सौरभ जिंदल, डॉ. अतिन कुंडू, निश्चेतना से डॉ. मंजुलता टंडन पीजी से डॉ. डागेन्द्र, डॉ. लिंगराज, डॉ. संदीप एवं डॉ. मनीष शामिल रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button