राजनीतीरोचक तथ्य

राजकिशोर के महापौर बनते ही कोरबा नगर निगम में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का बोलबाला, ठेकेदार से हमाल तक सब हलाकान, जनता त्रस्त

कोरबा। शहर की सड़कें और फुटपाथ इन दिनों ब्लॉक बस्टर फिल्म KGF की तर्ज पर सोना उगल रही हैं। नगर निगम की मुंशी पार्टी, अतिक्रमण दस्ता और संपदा शाखा के अफसर इस सोने को बटोरने में लगे हैं। पैदल राहगीरों के लिए बने फुटपाथ ठेले खोमचे वालों के कब्जे में हैं, जिन्हें यह अधिकार खुद निगम के अफसरों ने दे रखा है। बची हुई पार्किंग की जगह पर भी दुकानों का पसरा लगा रहता है, जिससे लोग अपनी गाडियां सड़क पर ही खड़ी कर खरीदारी में व्यस्त हो जाते हैं। परिणामस्वरूप शहर की सड़कों पर जाम की स्थिति उत्पन्न होती है और दुर्घटनाओं का डर बना रहता है। आम नागरिक त्रस्त हैं, जबकि निगम प्रशासन का जिम्मेदार अमला शहर के चौक चौराहों और मुख्य मार्गों की व्यवस्था दुरुस्त करने की बजाय उगाही में मस्त है।

पुराने डिवाईडर तोड़ो, नया टेंडर निकालकर फिर जोड़ो और कमीशन खाओ का खेल नगर निगम में काफी प्रचलित रहा है। इस काम में बोरियत होने लगी, तो डिवाईडरों के आसपास के फुटपाथ निशाने पर आए और अब लोगों के पैदल चलने के लिए बनाए गए इन्हीं फुटपाथों पर ठेले खोमचे खड़े करने का दौर चल पड़ा है। पैदल राहगीरों को सड़क पर चलना पड़ रहा है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ गया है। पार्किंग की जगह पर भी बाजार सजे हैं और लोग अपनी गाडियां सड़क पर ही खड़ी कर देते हैं। शहर के सबसे अधिक व्यस्ततम घंटाघर से सुभाष चौक मार्ग पर फुटपाथ पर व्यवसायियों ने अपना सामान फैला रखा है। पार्किंग के अभाव में खरीदार अपनी गाड़ी सड़क पर खड़ी कर देते हैं, जिससे यातायात की समस्या बढ़ जाती है। दुकान से सामान खरीदकर बाहर निकलते हैं, तब तक यातायात की टीम गाड़ी को क्रेन से उठाकर जब्त कर चुकी होती है।

सड़कों से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। तोड़ू दस्ता और अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकारी नियुक्त हैं, पर फुटपाथ पर हो रहे कब्जे को लेकर सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है और सुंदरीकरण पर भी ग्रहण लग रहा है।

इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों खर्च, पर इंतजाम दुरुस्त करने की कवायद गायब

निगम ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, पर इसे सही से लागू करने की कवायद नहीं हो रही है। समय पर कार्रवाई नहीं होने से व्यापारियों का सड़कों पर कब्जा बढ़ता जा रहा है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। घंटाघर के निकट पेट्रोलपंप से आगे व्यस्त मार्ग पर व्यापारियों ने कूलर, आलमारी, फर्नीचर, रजाई, गद्दे जैसे सामान बिखेर कर रखे हैं, जिससे पैदल चलने वालों को सड़क पर चलना पड़ रहा है।

घंटाघर मैदान में आयोजन होते ही सड़क पर सजती है चौपाटी

शहर में यातायात व्यवस्था की सभी कवायद विफल हो गई है। व्यस्ततम मार्गों पर पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ का रास्ता तय किया गया था, पर राहगीर सड़कों पर चलते दिखते हैं। स्मृति उद्यान के पीछे चौपाटी का निर्माण किया गया था, पर व्यापारी स्मृति उद्यान के सामने पार्किंग पर कब्जा कर अपना व्यापार चला रहे हैं। नगर निगम की कोशिशें भी राजनीतिक दबाव के कारण असफल हो रही हैं। आयोजन के दौरान सड़क पर चौपाटी सज जाती है, जिससे यातायात बाधित होता है और जाम की स्थिति उत्पन्न होती है।

ऐसा है करोड़ों का खेला…शाम को मुफ्त के चाय-समोसे, रसोई की भाजी और रोजी वसूली

नगर निगम कोरबा का तोड़ू दस्ता और संपदा शाखा के अफसर-कर्मचारी अवैध वसूली में लगे हैं। घंटाघर से महाराणा प्रताप नगर जाने वाले मार्ग पर ठेले और दुकानें लगवाने के लिए लाखों रुपये वसूले जाते हैं। दुकानदारों और ठेले-गुमटी वालों से प्रतिदिन अवैध वसूली की जाती है। शाम को वसूली के साथ मुफ्त के चाय, समोसा, पान गुटका, और रात की रसोई के लिए भाजी तरकारी का खर्च भी बचा लिया जाता है।

बेघर परिवारों के झौपड़े पर बुलडोजर, धमकी और वसूली

आवासहीन और बेघर गरीब परिवारों द्वारा अपनी झोपड़ी की मरम्मत या निर्माण करते ही तोड़ू दस्ता धमकी देकर नोटिस थमा देता है। नगर निगम कोरबा में ऐसा कोई पद स्वीकृत नहीं है, फिर भी तोड़ू दस्ता प्रभारी का सील मोहर लगा नोटिस आम जनता को दिया जाता है। अधिकारी और कर्मचारी अवैध वसूली के दम पर वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं।

छत्तीसगढ़ की सरकार और नगर निगम प्रशासन कोरबा में व्याप्त भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को रोकने में असमर्थ हैं। पिछले 10 साल से निगम सरकार कांग्रेस की रही है, पर अब छत्तीसगढ़ में सुशासन की सरकार है। देखना यह है कि जनता की सुनवाई कब होती है और इन समस्याओं का समाधान कब होता है।

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