मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की सुरक्षा के लिए ठेका एक करोड़ का और कंपनी 110 की बजाय 45 गार्ड से करा रही पहरेदारी, वह भी 8 की बजाए आधी अधूरी यूनिफार्म में 12-12 घंटे की शिफ्ट

कोरबा। मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा की कमान भले ही नई ठेका कंपनी ने अपने हाथों ले लिया है, लेकिन लचर व्यवस्था शुरूआती दौर से ही नजर आने लगी है। कंपनी को अस्पताल में 70 और मेडिकल कॉलेज में 30 सुरक्षा कर्मी उपलब्ध कराने का वर्क ऑर्डर जारी किया गया है। पर कंपनी ने सिर्फ 45 सुरक्षा कर्मियों की तैनाती कर अनुबंध के नियमों की अनदेखी कर रही है। इसके चलते सुरक्षा कर्मियों को 8 के बजाए 12-12 घंटे काम करना पड़ रहा है। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन की ओर से लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यही हाल रहा तो प्रबंधन को बड़ी रकम की क्षति हो सकती है।
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सितंबर 2023 में अस्पताल के अलावा कॉलेज की सुरक्षा के लिए निविदा आमंत्रित किया था। प्रबंधन की ओर से जारी टेंडर में अस्पताल के लिए 80 व मेडिकल कॉलेज के लिए 20 सुरक्षा कर्मी उपलब्ध कराने शर्त निर्धारित किए गए थे। इसके अलावा बाउंसर उपलब्ध कराने का भी प्रावधान रखा गया था। इसके लिए अनुमानित 1 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृति की बात कही गई थी। प्रबंधन से जारी टेंडर में कामथेन सहित 5 सुरक्षा एजेंसी ने हिस्सा लिया था। प्रबंधन की ओर से तमाम प्रक्रिया पूरी करने के बाद दो एजेंसी के आवेदन निरस्त किए गए, जबकि तीन एजेंसियों के आवेदन को सही पाया गया। प्रबंधन ने सभी अर्हताएं पूर्ण होने और न्यूनतम राशि के आधार पर कामथेन नामक एजेंसी को सुरक्षा की जवाबदारी सौंप दी। कंपनी ने एक मार्च से अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा की कमान संभाली ली है। शुरूआती दौर में दोनों ही स्थानों पर सीमित बल तैनात किए गए थे। कहा जा रहा था कि सप्ताह भर के भीतर प्रबंधन के नियमानुसार पर्याप्त सुरक्षाकर्मी और बाउंसर की तैनाती कर दी जाएगी, ताकि दोनों ही स्थानों पर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकी जा सके। असामाजिक तत्व अस्पताल में उत्पात न मचा सकें। नई ठेका कंपनी के कमान संभालने के बावजूद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। इसकी मूल वजह ठेका कंपनी की लचर व्यवस्था को माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि कंपनी ने पखवाड़े भर बाद भी महज 45 सुरक्षा कर्मियों की ही भर्ती की है। इनमें से ही कुछ सुरक्षा कर्मियों की तैनाती झगरहा स्थित मेडिकल कॉलेज में की जाती है। कंपनी में मुटठी भर सुरक्षा कर्मी होने के कारण 8 घंटे के बजाए 12-12 घंटे काम लिए जा रहे हैं। यह प्रबंधन से जारी नियमों के विपरीत है। खासबात तो यह है कि मेडिकल कॉलेज में साफ-सफाई का ठेका भी कामथेन नामक कंपनी के पास है। ऐसे में कई ऐसे सफाई कर्मी हैं जिनसे अलग अलग पालियों में सुरक्षा कर्मी का काम भी ग- लिया जा रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा कितनी मजबूत होगी।
कंपनी ने प्रत्येक कर्मचारी से 4 हजार जमा कराए
जानकारों की मानें तो किसी भी ठेका कंपनी द्वारा सुरक्षा कर्मियों से अमानत राशि जमा कराई जाती है, ताकि वे कंपनी द्वारा आबंटित वर्दी, जूते व अन्य सामान को क्षति न पहुंचा सकें । उन्हें जमा राशि से ही सामान उपलब्ध कराया जा सके। इस मामले में भी कामथेन सुरक्षा एजेंसी की अनदेखी सामने आई है। कंपनी द्वारा प्रत्येक कर्मचारियों से 4 हजार रूपये जमा कराए गए हैं जिन कर्मचारियों ने राशि जमा नहीं की उनके वेतन से कटौती की जाएगी।
आधी अधूरी यूनिफार्म में ड्यूटी दे रहे सुरक्षा कर्मी
सुरक्षा कर्मियों की पहचान उनकी वर्दी के साथ-साथ अनुशासनात्मक रवैया भी है। यदि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित होती है तो सुरक्षा कर्मी अपने बेहतर कार्यशैली से स्थिति को काबू में कर सकते हैं। इस मामले में भी कंपनी के सुरक्षा कर्मी काफी पीछे हैं। कंपनी की ओर से आधी अधूरी वर्दी व जूते देकर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है। उन्हें काम से संबंधित प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं कराया गया है। जिससे व्यवस्था को दुरूस्त रखने में दिक्कतें आ रही है।
इस पर जानकारी ली जाएगी, गड़बड़ी पर होगी भी कार्यवाही
मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डा. अविनाश मेश्राम का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों से निविदा आमंत्रित किए गए थे। कालेज व अस्पताल की सुरक्षा के लिए करीब एक करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली है। टेंडर में पांच एजेंसी ने रूचि दिखाई थी। प्रक्रिया पूरी करने के बाद कामथेन नामक एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है। सुरक्षा एजेंसी की ओर से उपलब्ध कराए गए सुरक्षा कर्मी और बाउंसर की जानकारी ली जाएगी। यदि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।