
ऐसे ही छात्र-छात्राओं की इस समस्या को दूर करने और उनमें आत्मविश्वास जगाने के मकसद से हर वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) खुद ‘परीक्षा पे चर्चा’ (Pariksha Pe Charcha) कार्यक्रम के जरिए देशभर के स्टूडेंट्स से रूबरू होते हैं। प्रधानमंत्री आज परीक्षा पे चर्चा के 5वें संस्करण में देशभर के छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे हैं. छात्रों से संवाद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह मेरा बहुत प्रिय कार्यक्रम है, लेकिन कोरोना के कारण बीच में मैं आप जैसे साथियों से मिल नहीं पाया. मेरे लिए आज का कार्यक्रम विशेष खुशी का है, क्योंकि एक लंबे अंतराल के बाद आप सबसे मिलने का मौका मिल रहा है. उन्होंने आगे कहा, ”त्योहारों के बीच में एग्जाम भी होते हैं. इस वजह से त्योहारों का मजा नहीं ले पाते. लेकिन अगर एग्जाम को ही त्योहार बना दें, तो उसमें कईं रंग भर जाते हैं.’
पीएम मोदी से ऑनलाइन एजुकेशन पर छात्रों और शिक्षकों दोनों ने सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा चुनौतिपूर्ण है। इसमें कैसे सुधार लाया जाए। पीएम ने कहा कि जब आप ऑनलाइन होते हैं तो पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं? पीएम ने कहा कि दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं हैं। जब आपका दिमाग कहीं और हो तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन हैं वही चीजें ऑफलाइन भी हैं।
परीक्षा पे चर्चा के दौरान छात्राओं ने पीएम मोदी से सवाल किया की क्या परीक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। घरवालों और शिक्षकों से डरें या फिर इसे त्योहार की तरह मनाना चाहिए? इस पर पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक और परिजन जो अपने बाल काल में नहीं कर पाए वह चाहते हैं उसे बच्चा पूरा करे। हम बच्चों की सीमा अपेक्षा और खूबी को बिना पहचाने धक्का मारते हैं। अपने आशाओं के कारण बच्चों पर बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक और परिजन की बात भी सुननी है और हमें उन चीजों पर भी ध्यान देना है कि हम किसमें सामर्थ्य हैं।