
कोरबा। कोरबा शहर में चांपा कोरबा, कोरबा कटघोरा फोरलेन मार्ग में लगभग 200 करोड़ के घोटाले के मामले की जांच अब ईडी करेंगी । जैसे ही इस विषय की जानकारी शहर में आम हुई उन लोगों के हाथ पैर फूल गए ,,, राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद षणयंत्र रचकर औने पौने दाम पर टुकड़ों में रजिस्ट्री कर – कर सरकारी खजाने में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया है,,, इनको किसका सरंक्षण प्राप्त था इसके पीछे खेलाडी कौन,,,
आपको बता दें कि चांपा-कोरबा- कोरबा कटघेारा राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 149 बी में फोर लेन का निर्माण होना है। प्रोजेक्ट आने के पहले ही कोरबा के हरदीबाजार-तरदा बाईपास जमीन को कुछ लोगों ने सिंडिकेट बनाकर खरीद लिया। इसमें 50 गांवों में 500-500 वर्ग मीटर से कम के टुकड़े कर जमीनों की खरीदी-बिक्री की गई है।
*200 करोड़ से भी अधिक का खेल उजागर* ___
200 से ज्यादा लोगों ने इस जमीन को बहुत ही सस्ते दर पर खरीद लिया। ताकि उन्हें मोटा मुआवजा मिल सके। जबकि इन जमीन की खरीदी-बिक्री पर प्रशासन ने रोक लगाई थी। इसके बाद भी रजिस्ट्री कर दी गई। इसमें सरकार को 200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया गया। पूर्व में भी इस मामले को लेकर कटघोरा विधायक व पाली जानकार विधायक द्वारा शिकायत किया गया था जिसपर तत्कालीन कलेक्टर ने जांच उपरांत संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने आदेश जारी किया था जिसपर दो दो एफ आई आर जिले में दर्ज किया गया था,, पूर्व सभापति नगर निगम कोरबा धूरपाल सिंह कंवर एवं उनके परिवार का नाम भी सामने आया था,, धुरपाल सिंह कंवर छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के बेहद करीबी माने जाते हैं,,,
*कई सवाल उठा रहे लोग*
यहां गौर करने वाली बात यह है कि जमीन की बिक्री पर रोक लगाने के बाद भी लगभग 200 लोगों के नाम से रजिस्ट्री कैसे हुई ,, प्रशासन के कौन-कौन से अधिकारी इस खेल में शामिल है,,, वही तत्कालीन कलेक्टर और एसडीएम ने रजिस्ट्री कैसे होने दिया ,,, पटवारी आरआई ने नापजोक व सीमांकन कैसे किया,,, वहीं जिन लोगों की जमीन थी उन्हें कितना पैसा दिया गया ,,, वर्तमान में जमीन किसने खरीदी है वही उसे फंडिंग किसने दी है,,, इसके साथ ही ऐसे कई विषय हैं जो सवाल खड़े कर रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व ई डी के अधिकारियों ने कोरबा जिले के बहुत सारे जगहों पर छापा मारा था जिसमें कोरबा पंजीयक कार्यालय,, कटघोरा पंजीयक कार्यालय,, एवं हरदीबाजार पंजीयन कार्यालय में छापा मारकर सभी दस्तावेजों की जांच कर संबोधित को नोटिस जारी किया गया था,,, बहुत से राजस्व विभाग के पटवारी और आर आई भी ई डी के रडार पर,,,
*हो सकती है बड़ी कार्यवाही*
मिली जानकारी के अनुसार शहर की कुछ सफेदपोश लोग जिन्हें इस निर्माण के संबंध में पहले से ही जानकारी थी उनके द्वारा ही सिंडिकेट बनाकर लगभग 200 करोड़ की खेल को खेला गया है।। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर और तहसीलदार भी सवालों के घेरे में आ गए हैं।। वहीं कयास यह भी लगाया जा रहे हैं कि आने वाले समय में शहर की तमाम दिग्गज लोगों के नाम भी इस मामले में सामने आए । साथ ही ईडी के द्वारा भविष्य में इन पर बड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। ख़ास बात यह है कि इतने बड़े घोटाले का मास्टर माइंड कौन???